*अयोध्या में भाजपा की हार: हिंदुओं की जिम्मेदारी*
अयोध्या, एक धार्मिक स्थल जिसका महत्व भारत के हिंदुओं के लिए अपार है। पांच सौ साल से लंबित राम मंदिर का निर्माण भाजपा सरकार ने करके हिंदुओं से किया गया वादा पूरा किया। इसके बावजूद अयोध्या में भाजपा की हार एक गहन चिंता का विषय है। क्या यह हार भाजपा की है या यह हिंदुओं की असफलता का प्रतीक है?
भाजपा की उपलब्धि
भाजपा ने राम मंदिर निर्माण का जो वादा किया था, उसे उन्होंने सफलतापूर्वक पूरा किया। यह केवल भाजपा के लिए ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण हिंदू समाज के लिए गर्व का क्षण था। लंबे संघर्ष और अदालत की लंबी प्रक्रिया के बाद, राम मंदिर का निर्माण संभव हुआ। इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर भाजपा ने जो प्रयास किया, वह अतुलनीय है। इस दृष्टिकोण से भाजपा की हार का कोई औचित्य नहीं होना चाहिए था।
हिंदू मतदाताओं की जिम्मेदारी
जब अयोध्या में भाजपा की हार हुई, तो इसका सीधा अर्थ है कि हिंदू मतदाताओं ने अन्य पार्टियों को समर्थन दिया। यह समर्थन क्यों और कैसे हुआ, यह विचारणीय है। कई हिंदू मतदाता कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसे विपक्षी दलों के झूठे वादों और आरोपों के झांसे में आ गए। यह समझने की आवश्यकता है कि वे राजनीतिक दल जो राम मंदिर के निर्माण में अवरोधक थे, आज कैसे हिंदू समाज के सच्चे हितैषी हो सकते हैं?
विपक्षी दलों के जुमले
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने हमेशा से ही हिंदुओं को विभाजित करने की राजनीति की है। उनके वादे और दावे सदैव छलावे से भरे रहे हैं। राम मंदिर निर्माण के मामले में कांग्रेस का रुख सदैव नकारात्मक रहा है। समाजवादी पार्टी का भी यही रवैया रहा है। फिर भी, हिंदू मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग उनके जुमलों में आ गया। यह राजनीतिक अस्थिरता का परिचायक है।
देशभक्ति और धर्मभक्ति
जो लोग भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस या समाजवादी पार्टी का समर्थन कर रहे हैं, वे न केवल अपनी धार्मिक आस्था के साथ बल्कि देश के साथ भी विश्वासघात कर रहे हैं। यह उनकी देशभक्ति और धर्मभक्ति पर प्रश्नचिह्न लगाता है। हिंदू समाज का यह वर्ग, जो कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के जुमलों में फंस गया है, उसने न केवल भाजपा के प्रयासों का अपमान किया है, बल्कि अपनी ही धार्मिक धरोहर के प्रति कृतघ्नता दिखाई है।
आगे की राह
आने वाले पांच वर्षों में कांग्रेस या समाजवादी पार्टी से कोई भी वास्तविक लाभ मिलने की संभावना नहीं है। उनके वादे और घोषणाएं केवल चुनावी रणनीतियां हैं। समय के साथ ये दल अपने वादों को पूरा करने में असफल रहेंगे, और तब हिंदू मतदाताओं को अपनी गलती का एहसास होगा। परंतु तब तक बहुत देर हो चुकी होगी।
अगर आपमें थोड़ी सी भी शर्म बची हो
तो इस लेख को आगे बढ़ाएं और जुमलों में फंसे लोगों को समझाएं कि हिन्दू हो, हिन्दुस्तान के लिए जागो। देश के प्रति हमारा कर्तव्य केवल शब्दों में सीमित नहीं होना चाहिए। हम सभी जानते हैं कि हमारे पूर्वजों ने कितनी कठिनाइयों का सामना किया, कितनी कुर्बानियाँ दीं, तब जाकर हमें आज़ादी मिली। लेकिन आज हम उन जुमलों में उलझ गए हैं जो हमें केवल धोखा देते हैं।
हमें समझना होगा कि सिर्फ बातें बनाने से हमारा देश प्रगति नहीं करेगा। हमें अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा और सक्रिय रूप से देश के विकास में योगदान देना होगा। अगर हम आज नहीं जागे तो हमारी आने वाली पीढ़ी हमें कभी माफ नहीं करेगी। वे हमसे पूछेंगी कि आपने हमारे भविष्य के लिए क्या किया?
हमें आज से ही सही दिशा में कदम बढ़ाने होंगे। देशप्रेम केवल दिखावे का नाम नहीं है, इसे कर्मों से साबित करना होगा। हिन्दुस्तान को महान बनाने के लिए हमें एकजुट होकर काम करना होगा, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियाँ गर्व से कह सकें कि हमारे पूर्वजों ने सही दिशा में प्रयास किए थे। इसलिए, उठो और अपने देश के लिए कुछ सार्थक करो।
निष्कर्ष
अयोध्या में भाजपा की हार केवल एक चुनावी पराजय नहीं है, यह हिंदू समाज की असफलता का प्रतीक है। यह उन लोगों के लिए चेतावनी है जिन्होंने अपने धर्म और देश के प्रति कर्तव्य को भुला दिया है। यह समय है आत्ममंथन का और यह समझने का कि राजनीति में धर्म और देशप्रेम का महत्व कितना अधिक है। जो लोग राम मंदिर निर्माण के बाद भी भाजपा का समर्थन नहीं कर सकते, उन्हें यह सोचना चाहिए कि वे अपने धर्म और संस्कृति के सच्चे रक्षक नहीं हो सकते। आने वाले समय में, यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने फैसलों पर पुनर्विचार करें और अपने धर्म और देश के प्रति सच्ची निष्ठा दिखाएं।
लेखक: आशिक राठौड़
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